सड़क हादसे में गई थी चंडीगढ़ नगर निगम कर्मी की जान, एमएसीटी ने सुनाया 51.40 रुपए मुआवजे का आदेश

Chandigarh Municipal Corporation Employee Died

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अर्थ प्रकाश संवाददाता
पंचकूला। Chandigarh Municipal Corporation Employee Died: 
मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) पंचकूला ने आज एक बड़ी राहत देते हुए एक 30 वर्षीय चंडीगढ़ नगर निगम कर्मचारी के परिवार को 51.40 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। युवक ने एक दुखद सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा दी थी। न्यायाधीश वेद प्रकाश सिरोही द्वारा सुनाए गए फैसले से महीनों की कानूनी लड़ाई के बाद पीड़ित परिवार को आर्थिक राहत मिली है।

यह दुर्घटना 20 सितंबर, 2024 की शाम को हुई, जब कुलदीप सिंह अपनी मोटरसाइकिल पर अपने पैतृक गांव तहसील कालका से चंडीगढ़ जा रहे थे। उनके भाई बलकार सिंह एक अन्य मोटरसाइकिल पर पीछे-पीछे चल रहे थे। पिंजौर के गांव खेड़ा बसौलन के पास तेज रफ्तार कार चालक नदीम अहमद ने कुलदीप की मोटरसाइकिल को दाहिनी ओर से टक्कर मार दी। कुलदीप के सिर में गंभीर चोटें आईं और उन्हें पहले पंचकूला के पारस अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने हालत गंभीर देखते हुए उन्हें पीजीआई रेफर कर दिया जहां 25 सितंबर, 2024 को उनकी मौत हो गई।

याचिका उनकी 26 वर्षीय विधवा परमजीत कौर, उनके नाबालिग बेटे फतेहवीर सिंह और कुलदीप के माता-पिता कश्मीरा सिंह और सुरिंदर कौर ने दायर की थी। परिवार ने दावा किया कि कुलदीप परिवार का एकमात्र कमाने वाला था, जो चंडीगढ़ नगर निगम में आउटसोर्सिंग फर्म आरआर एंटरप्राइजेज के माध्यम से बेलदार के रूप में 35,000 रुपये प्रति माह कमाता था। उन्होंने वित्तीय निर्भरता और अचानक नुकसान के कारण हुए आघात का हवाला देते हुए 1 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की।

मामले में प्रतिवादियों में नदीम अहमद (चालक), विजय चमोली (वाहन का मालिक) और एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (बीमाकर्ता) शामिल थे। चालक और मालिक ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि उनके वाहन से ऐसी कोई दुर्घटना नहीं हुई और एफआईआर पर सवाल उठाया। बीमा कंपनी ने मुआवजे की राशि को चुनौती दी और दावा किया कि मृतक की आय के ब्यौरे में हेरफेर किया गया था।
हालांकि, न्यायाधिकरण ने याचिकाकर्ताओं के साक्ष्य को विश्वसनीय पाया, जिसमें प्रत्यक्षदर्शी गवाही, अस्पताल के रिकॉर्ड, एफआईआर विवरण और रोजगार दस्तावेज शामिलबकाए गए थे। 

सावधानीपूर्वक जांच के बाद न्यायाधिकरण ने पाया कि दुर्घटना प्रतिवादी नदीम की तेज एवं लापरवाही से वाहन चलाने के कारण हुई थी। न्यायाधीश सिरोही ने फैसला सुनाया कि बीमाकर्ता-एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी-पहले मामले में मुआवज़ा देने के लिए उत्तरदायी होगी, क्योंकि वाहन का विधिवत बीमा किया गया था और दुर्घटना के समय चालक के पास वैध लाइसेंस था। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि नाबालिग बेटे का हिस्सा (कुल राशि का 30%) एक राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा के रूप में तब तक जमा किया जाए जब तक कि वह वयस्क न हो जाए।